Nepal Gen Z Protest: काठमांडू की गलियों में सोमवार का दिन लहूलुहान और स्याह साबित हुआ। जब हजारों युवाओं, जिन्हें आज की भाषा में जनरेशन Z कहा जाता है, ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर लगे अचानक बैन के खिलाफ आवाज़ बुलंद की, तो नतीजा बेहद खौफ़नाक रहा। पुलिस की गोलियों और बर्बर बल प्रयोग ने 14 ज़िंदगियों को छीन लिया और 200 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह ऐतिहासिक विरोध अब पूरी दुनिया में Nepal Gen Z Protest के नाम से जाना जा रहा है।
सड़कों पर गूंजा जनरेशन Z का गुस्सा

काठमांडू, पोखरा, बुटवल, धरान और कई शहरों में युवा हाथों में बैनर और होठों पर नारे लिए उतर आए। उनकी आवाज़ सीधी और साफ थी “हम ही आंदोलन हैं, और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे।” संसद भवन के सामने इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बैरिकेड तोड़ दिए और नेताओं से इस्तीफे की मांग करते हुए उन्हें देश छोड़ने तक की बात कही।
लेकिन पुलिस ने जवाब में रबर की गोलियां, आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। हालात इतने बिगड़े कि प्रशासन को कर्फ्यू तक लगाना पड़ा। यह किसी राजनीतिक दल का आंदोलन नहीं था, बल्कि युवाओं का स्वतःस्फूर्त विद्रोह, जिनके सपनों और रोज़गार पर सरकार के फैसले ने सीधा हमला किया था।
क्यों भड़की युवाओं की नाराज़गी
नेपाल का युवा वर्ग पहले ही बेरोजगारी और पलायन की मार झेल रहा है। हर दिन हज़ारों नौजवान रोज़गार या पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं। ऐसे में जो यंगस्टर देश में रहकर सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी पहचान और रोज़गार बना रहे थे, उनके लिए यह बैन किसी सुनामी से कम नहीं।
दूसरी ओर, आम जनता का गुस्सा इस बात से और भड़क उठा कि नेता अपने बच्चों को विदेश में आलीशान जिंदगी मुहैया कराते हैं, जबकि गरीब परिवारों के बच्चों को कहा जाता है कि देश में रहकर संघर्ष करो। माता-पिता की मेहनत से कमाए टैक्स का पैसा भ्रष्टाचार में डूबे नेताओं की ऐशो-आराम की जिंदगी में खर्च होते देखना युवाओं के धैर्य को चकनाचूर कर गया।
लोकतंत्र और आज़ादी पर सवाल

मानवाधिकार आयोग ने भी पुलिस पर अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप लगाया और सरकार से तुरंत हिंसा रोकने की अपील की। लेकिन सवाल अब इससे कहीं आगे जा चुका है। युवाओं की मांग साफ है उन्हें सिर्फ इंटरनेट की आज़ादी नहीं चाहिए, बल्कि एक साफ और पारदर्शी व्यवस्था चाहिए, जहां उनकी आवाज़ को दबाने के बजाय सुना जाए।
नेपाल का यह आंदोलन बताता है कि जब नई पीढ़ी अपनी आज़ादी और भविष्य को खतरे में देखती है, तो वह खामोश नहीं बैठती। चाहे गोलियां चलें या कर्फ्यू लगे, Nepal Gen Z Protest ने साफ कर दिया है कि यह लड़ाई सिर्फ सोशल मीडिया के लिए नहीं, बल्कि असली लोकतंत्र और न्याय के लिए है।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना और जनसंपर्क के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें उल्लिखित घटनाएं और तथ्य उपलब्ध समाचार स्रोतों पर आधारित हैं। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार की हिंसा या अव्यवस्था का समर्थन नहीं करते।
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